Monday, October 11, 2010

Songs I Have Loved : A time for us Romeo and Juliet 1968

I Love U ....Love is Life...Love is God !!


As the journey passes and gets with the life reminds me ohh! time left is too less with you..
What an irony it was yesterday we met its been ages we parted..
Handful days but millions of dreams has to turn true...
Handful days but millions of happiness to be felt..
Handful day but million of stars has to sparkle in the palm..
Handful days millions of memories to be shared...
Please God i don't beg you to give me millions years of life...
God please bless me one day from my life..
true love just needs one glance to express those millions desires..
When u truly love somebody even your dead body speaks...

This poem has been written by my friend.I love this poem very much.In this poem the depth of love like depth of see...u can feel the deep fragrance of love...which give the wings of pleasure of joy and happiness...Love give the meaning of life...I hope u will love this poem

Saturday, October 10, 2009

सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी !!


सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी
अगर तेरे जीवन में गम कोई आये
तो गम सारे मेरे हो
मेरी सारी खुशियाँ तुम्हारी !
कभी तेरे पावों में जो कांटे चुभें तो
काटें तेरे हो तो पीडा हमारी
सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी !
कभी तेरे पलकों में आंशु जो आयें
अगर आंशु तेरे हो तो आँखें हमारी
सदा रब से मांगी है खुशियाँ तुम्हारी
सदा खुश रहो ये दुआ है हमारी !

Monday, August 17, 2009

Songs I Have Loved - मेरी ज़ंग !!

आज का गीत है - "जिन्दगी हर कदम एक नयी जंग है "
यह फिल्म १९८५ में बनी . निर्माता - न.न. शिप्पी , निर्देशक - सुभाष घई , अभिनेता - अनिल कपूर , अभिनेत्री - मीनाक्षी शेषाद्री , फिल्म का गीत - जावेद अख्दर , फिल्म का संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल !

एस गीत को सुनकर मन में एक भरोषा पैदा होता है जीत का , विश्वाश का , दुखों से लड़ने का. एस गीत को सुनकर जैसे नशों में कुछ हलचल सी होने लगाती है . जावेद साहब ने एस गीत में पूरी जान डाल दी है .

Tuesday, July 14, 2009

Devesh's Interview with CNN IBN Channel !

At around 2.00 pm on 22 jun a mesage came on my cell "Hi Devesh, I'm from the news channel CNN IBN. I found Your blog DevPalmistry Online and would like to get an interview. Thank you !". AftIer this mesage a call came from the same number and a girl was talking to me she told me that Hi devesh , i m pallvi , i m from CNN IBN news channel and i want to take ur interview , can u come to my office in Noida and i said sorry mam i m not able to come ur office because there is work in my office then she told can we come at ur home i said yes , u can come , ur most welcome. And around 7.30 pm Pallvi and her team came at my room and take and interview over my Palmistry Blog , Palmistry and Poetry.

An Interview of Mr Devesh Kr. Mishra (Software Engineer and Noted Palm Reader) with CNN IBN News Channel over Palmistry and Writing in Hindi blog.Its a passion for me and since my childhood, i am doing research on the Ancient Science "PALMISTRY". Its a science to serve humanity.Its a science to improve future in a better way . The lines of palm tells everything about the personality, the psychology, future and lots of other things about that person. It does not mean that lines of palm never changes, it changes according to positions of various palates and there degree of energy effect on a particular person which triggers the physiology , psychology , other body functions and harmony of the vital force,which are the mother and causative factors of external expression of lines of palm.
Devesh and Pallavi Paul(CNN News Reporter)Showing Palmistry Article to Pallavi
CNN IBN News Channel Team MemberMe and my Friend with CNN IBN Team

Sunday, June 21, 2009

आई लव यू पापा !




पापा मै जब भी गिरा , जब भी जीवन से हारा
आपको हर पल अपने बहुत करीब पाया
मै जब भी अँधेरों से घबराया
आपकी थपकी से ही रोशनी पाया .
पापा आपकी शिच्छाओ में
जीवन का दर्शन है , आप कहते है -
"जो तोको काँटा बुए , ताहि बोउ तो फूल
ताको फूल के फूल है वाको है त्रिशूल ".
पापा आपकी बातों में
मंदिर की घंटियों का संगीत है .
आपकी डांट में , दुखों से बचाव का इशारा है .
आपके स्नेह में ,
प्राणों को पुनर्जीवित करने की अद्वितीय शक्ति है .
आपके दुलार में सारे जहाँ की खुशिया है .
आपकी बिपरीत परिस्थितियों में
सहज बने रहकर इश्वर में विश्वास
और खुद पर भरोसा रख कर
दुखों को पार करने की सहज प्रब्रित
प्राणों में उर्जा भारती है .
आप का प्यार है
जैसे सूरज की रोशनी , जैसे ये नीला आकाश
जैसे नदिया का जल , जैस ये चाँद सितार
आपके हाँथ जब भी उठे प्रार्थना के लिए
हमारे लिए उठे .
हमने आपकी पावन छाया में हमेशा
सुरछित महसूस किया है
आपने बचपन से ही वो बातें बताई
जो हमें जाननी चाहिए
जो आपने शिखाया और कोई नहीं बता सकता था
इश्वर में आस्था, सच्चाई में भरोसा , आशा
विश्वाश , दुषरों की भलाई करना .
पापा सब कुछ , तुम मेरे हो
तुम बिन मै कुछ भी नहीं
मेरी सांसे , मेरी धड़कन
मेरे प्राणों का एक एक कण तुम हो.
पापा हमें आपको पिता कहने पर गर्व होता है
आपने हमें जीवन ही नहीं दिया है
जीवन जीने की दृष्टि और विश्वाश दिया है
एक स्वपन , एक ख्वाब दिया है
एक दीपक दिया है जिसे हमें आगे भी जलाये रखना है .
पापा, काश : मै आपके चरणों की धुल भी बन पाया
तो मै सोचूंगा की मेरा जीवन सफल रहा .

Thursday, May 14, 2009

मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा !!


मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मुझे नहीं आता है, कोरे स्वप्न सजाना
मै अपने मन की देखी साकार करूँगा
माना हर एक कल्पना सत्य नहीं होती
हर अभिलाषा, पूरी हो पाती ही कब है?
सभी ओर अवरोध खड़े है भांति भांति के
हर पगडंडी मंजिल तक जाती ही कब है?
लेकिन मुझे न आता आधे में रुक जाना
निकल पड़ा हूँ तो बाधांये पार करूँगा ||
ऋतुएं भी बदलेंगी, अपने अपने क्रम से
कभी मेघ गरजेंगे, सरिता इतराएगी
धूप कभी अपना शारीर ही झुलसाएगी
लौट पुनः दिन बासंती बेला भी आएगी
मैंने कब सिखा है पीडा से डर जाना
अभिसंघातो से, जीवन श्रृंगार करूँगा
मेरा रहा असंभव से आकर्षण गहरा
चाँद सितारों पर मेरा मन ललचाता है
जाने क्यों, घनघोर तिमिर की छाया में भी
मुझको आशा दीप, दूर से दिख जाता है
मुझे नहीं आता अधियारे से घबराना
मै प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा ||

Tuesday, March 31, 2009

क्या मै आगे नहीं जा सकता !!


क्या मै जिंदगी के
ऐसे मोड़ से
आगे नहीं जा सकता
जँहा मै बिलकुल अकेला हूँ .
जँहा न मुझे
कोई जानने वाला हो
और न ही पहचानने वाला .
और जो जानने वाले हो
वो मेरी अवहेलना कर दे
जंहा मेरे अस्तित्व की
रच्छा करना मुस्किल पड़ रहा हो
क्या मै जिंदगी के
ऐसे मोड़ से आगे नहीं जा सकता ?

Saturday, February 21, 2009

Songs I Have Loved - अंखियों के झरोखों से !!


आज का गीत है - "अंखियों के झरोखों से"



फ़िल्म : अंखियों के झरोखों से
एक्टर्स : सचिन
अच्त्रेस्सेस : रंजीता
डिरेक्टर : हिरेन नाग
प्रोदुसर्स : ताराचंद बर्जत्य
संगीतकार : रविन्द्र जैन
प्रोडक्शन इयर : १९७८
गायिका : हेमलता
गीतकार : रविन्द्र जैन

यह गीत "अंखियों के झरोखों से " फ़िल्म "अंखियों के झरोखों से " का है और इसका प्रोडक्शन राजश्री ने किया है . इस गीत को रबिन्द्र जैन ने गीत और संगीत दिया है . रबिन्द्र जी के गीत में प्यार की इतनी गहराई है जीतनी की मुस्किल से कभी औरों के गीत में मिले . यह गीत ह्रदय को झंकृत कर जाता है , यह अन्दर तक प्यार की खुशबू से मन को भर देता है .इस गीत को रबिन्द्र जैन से अच्छा कोई नही लिख सकता . इस गीत का एक एक शब्द प्यार की गहराई से आ रहा है , जो आपके मन को छु जाता है , मुझे एन गीतों से प्यार है . इस गीत को सुनकर मन जैसे शांत हो जाता है . जैसे मन कही गीर जाता है इस गीत से रविन्द्र जी की कल्पना की गहराई का पता चलता है .

प्यार में ऐसा ही होता है , ऐसा लगता है जैसे जीवन का यह उत्सव कभी ख़त्म ना हो , यह ऐसे ही चलता रहे . यह गीत आपको किसी और ही दुनिया में ले जाता है , जो दुनिया प्यार की है , स्नेह की है , समर्पण की है .इस गीत को सुन कर मन में एक समर्पण का भाव उभर आता है , पूर्ण समर्पण का जो प्यार का मूल तत्त्व है



कहते है स्त्री जब भी प्रेम करती है वह परमात्मा से कम नही मानती , प्यार का प्रतिती ही यही है की जिसको प्यार किया परमात्मा से कम जाना ही नही , परमात्मा से कम देखा ही नही . स्त्री का स्वभाव ही प्रेम है .स्त्री के लिए प्रेम मुक्ति है , स्त्री के लिए प्रेम अमृत है .

मै जब भी इस गीत को सुनता हूँ , मै बहुत दूढता हूँ इस गीत की तुलना किसी चीज से करू ,पर प्यार की इतनी गहरी फेल्लिंग्स के लिए मै कोई शब्द नही ढूंढ पाता, शिर्फ़ भावों में डूब कर इस गीत का आनन्द लेता हूँ..

Monday, February 9, 2009

यादें न जायेंगी !!



यादें न जायेंगी

हम चले जायेंगे

यादों की खुशबू से

मन महकाएँगे ।

जब हम न होंगे

राहों में तेरे

कोई निशा जब

नही होंगे मेरे ।

तेरी निगाहे जब

धुधेंगी मुझको

धड़कन भी तेरी

जब पूछेगी मुझको ।

कैसे समझाओगे

ख़ुद को बहलाओगे

यादों के आँचल में

मुझको तुम पाओगे ।

यूं ही नया गीत

गाता मिलूंगा

यादों में तेरे मै

हर पल रहूँगा ।

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कृपया इस ब्लॉग..
dev-palmestry.blogspot.com/
पर भी इक नजर डाले.

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Wednesday, January 21, 2009

भारतीय युवा अपने को स्वस्थ रह कर ही देश, समाज और परिवार की सेवा कर सकते है ..





भारतीय युवा गैजिट का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं हैं, लेकिन इनका ज्याद ाइस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इससे मानसिक रोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हॉस्पिटल में पेशंट की संख्या बढ़ रही ही। मोबाइल फोन, आईपॉड, आई फोन, लैपटॉप, कैमकॉर्डर, डीवीडी, पीसी, डिजिटल डायरी, इलेक्ट्रॉनिक हेयर ड्रेसर, मसाजर, विडियो गेम, वॉक मैन के अलावा और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम का यूज युवाओं में बढ़ रहा है। बहुत से युवाओ का आधे से ज्यादा वक्त फोन और इंटरनेट सफिर्ंग पर गुजरता है।

मनोचिकित्सक और डाक्टर्स का कहना ही की कंप्यूटर की-बोर्ड और फोन से लगातार मेसेज करने से कई तरह की ऑथोर्पेडिक प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं बैटरी से चलने वाले फोन ज्यादा चार्ज होने पर ओवर हीट प्रोड्यूस करते हैं, जिससे एक्सप्लोजन भी हो सकता है।

आप जब भी ऑफिस से आए या इस तरह के उपकरण का उपयोग करने के बाद प्राणायाम अवश्य करे , यदि संभव हो तो स्नान कर ले , नही तो हाँथ पैर अवश्य धुलें . यदि आप कंप्यूटर पर काम कर रहे ही तो , हर एक घंटे पर अपने बैठने की पोसिशन और हाँथ की पोसिशन बदलते रहे . इस तरह आप शारीरिक और मानशिक परेशानी से बच सकते है .

Friday, January 16, 2009

लंबी रिंग फिंगर देती है कारोबार में खूब मुनाफा !



आप चाहे हाथों की रेखाओं से भविष्य जानने में यकीन न रखते हों, पर हालिया वैज्ञानिक रिसर्च के नतीजे आपके इस यकीन को जरूर बदल सकते हैं। इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के मुताबिक पुरुषों की रिंग फिंगर की लंबाई से उनकी फाइनैंशल सक्सेस का अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन पुरुषों की रिंग फिंगर (अनामिका) इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) से लंबी होती है, वे हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग में ज्यादा कामयाब रहते हैं।


हस्त रेखा में हाथ कई तरह के होते है , मुख्यत ये ४ प्रकार के होते है - वायु प्रधान हाँथ , जल प्रधान हाँथ , पृथिवी प्रधान हाँथ और अग्नि प्रधान हाँथ .
वायु प्रधान हांथ - यह वर्गाकार या आयताकार होता है और अंगुलिया लम्बी होती है . हांथ की चौडाई कलाई से अगुलियों तक कम होती जाती है . और यदि एस तरह का हांथ है आपका तो समझिये की आपका लुंग्स कम्जोर हो सकता है . और यदि आपका हांथ वायु प्रधान है और आपकी रिंग फिंगर (अनामिका) इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) से लंबी तो समझिये आप जरुर कोई अपने किताब लिखेंगे या फिर आप एस तरह की बात सोच रहे है . यदि आपका हांथ एस तरह क है तो समझिये आपका हाथ, क्रिएटिव हाथ है .

Tuesday, January 6, 2009

मेरा मै और मै !


मेरा वर्तमान, भूत की तरह
पल पल गुजर रहा है
प्रतिपल , मै मर रहा हूँ
क्या कभी जीवित भी रहूँगा ?
सोच के डर जाता हूँ
की मेरा मै भी मर जाएगा ।
चिंतन करता हूँ तो पाता हूँ
की मेरा मै ही नही जीने देता मुझे ।
भूत को देखता हूँ तो पाता हूँ
की मेरा मै, मुझे मै , मै कर मारता रहा
और मै विवश मै मरता रहा
क्या कभी मै को मारा मैंने ?
आज भी असंतुस्ट हूँ , अस्थिर हूँ , बेचैन हूँ ।
सोचता हूँ भविष्य के बारे में
तो डर जाता हूँ
की मै ना मरा तो मै मर जाऊंगा
शायद कभी नही जी सकूंगा
कभी नही .........

Tuesday, December 30, 2008

नया वर्ष है नव प्रभात है !


नया वर्ष है , नव प्रभात है
नयी उम्मीदे , नयी आश है
कुछ सपने , कुछ खवाब नए है
नयी है मंजिल , राह नयी है
हम सब को मिलकर चलना है
स्वपन सुनहरे सच करना है ।
पथ में कुछ मुस्किल तो होगी
कुछ बाधायें सरल न होगी
अधियारों में चलाना होगा
गम भी हमको सहना होगा
गीत नए फिर भी गढ़ना है
सवपन सुनहरे सच करना है ।
Yahi प्रार्थना रब से मेरी
आशाएं पूरी कर हम सब की
तुम्हे समर्पित कर्म हमारा
नव वर्ष का यह धेय हमारा
हम सब को मिलकर चलाना है
स्वपन सुनहरे सच करना है ।

Friday, December 19, 2008

मैंने प्यार किया !!


तुम जो भी हो मै नही जानता
मै तो केवल इतना जनता हूँ
की तुम मेरी सांसें हो , धड़कन हो ।
माना की तुम मुझसे बहुत दूर हो
किंतु तुम मेरे बहुत पास हो
जितना की मै ख़ुद नही ।
तुम बन चुकी हो यादें मेरी
बस गई हो दिल की बस्ती में ऐसे
की ढूढना चाहा तो ख़ुद खो गया उसी में ।
बस चाहत है तुमसे
की मिल जाओ मुझसे ऐसे
जैसे दो चाहत आत्माए हो ।
मैंने चाहा तुम्हे यह खुस्किस्मती है मेरी
मैंने चाहा क्या ?
ये नज़ारे तो खुदा ने बनाई ही है
की बस तुम्हे dekhata rhoo ।
तुम्हारे नजदीक रह के
कह न सका मै तुमसे
की किसी को चाहना
और चाहत का इजहार
न कर पाना ही शायद प्यार है
तो हां मैंने प्यार किया तुमसे , सिर्फ़ तुमसे ।

Saturday, November 29, 2008

मै शहीद कहलाऊंगा !!




मै मौत से नही डरता
मौत के खौफ से नही डरता
मगर मौत मुझे गाँधी , सुभाष की tarah chahiye
मुझे मौत आजाद , भगत सिंह की tarah चाहिए
मुझे मौत बलिदान , स्वाभिमान की चाहिए
मुझे मौत देश की खातिर चाहिए
मुझे मौत कारगिल की चाहिए
मुझे मौत मेजर उन्नी कृषण की tarah चाहिए
मुझे मौत हेमंत करकर , विजय सालसकर , अशोक की tarah चाहिए
मुझे मौत , ई वतन तेरे लिए चाहिए
मेरे वतन तेरे लिए मै लहू बहाऊंगा
गर मर भी गया तो मै शहीद कहलाऊंगा
मेरे वतन निराश न हो मै लौट के आऊंगा ।

सुन लो आताकियों , दुश्मनो
हर बार यही कहानी दुहराऊंगा
खाकर सिने पर हजारों गोलिया
तेरा नाम अपनी जमी से मिटाऊंगा
हर बार शांति का संदेश
सारे जहा में फैलाऊंगा
हर बार अपना प्राण देश की
आन ,मान और शान की खातिर लुटाऊंगा

Friday, October 10, 2008

काश ! इसे कोई समझाता !!


जीवन में है कितने बंधन
अब तक इसको समझ न पाया
मन करता रहता है क्रंदन
फिर भी है उसको अपनाया ।
द्वंद भरा यह कैसा जीवन
कभी हसता , कभी रुलाता
सब अपने है समझ न पाता
समझ अकेला मन अकुलाता ।
सारे बंधन मेरे अपने
बढ़ते जाते है क्यू सपने
दिवा स्वप्न अब थका रहे है
समय चल दिया बाती ढकने ।
कब यह बाती बुझ जायेगी
कब तक यह मन बहलायेगी
काश ! इसे कोई समझाता
मेरे मन को राह देखता ।

(This poem has been written by my father.
I Love this poem. Hope u will also love and like it )

Tuesday, October 7, 2008

कौन समझेगा मुझे !



कौन समझेगा मुझे
कौन मुझे प्यार देगा
जिस प्यार की तलाश
में हूँ बरसो से
क्या मुझे वो प्यार
कभी मिलेगा ।
इक धुंधली सी तस्वीर
है उसकी मेरे जेहन में
कब तक मै उसका
इन्तजार करूँ ।
कही वो मेरा
भरम तो नही
या है वो इक सच ।
ये खुदा अब तू
ही बता क्या
वो मेरे सामने आएगी ।
और अगर वो नही
आएगी तो उसकी
तस्वीर मेरे जेहन में
क्यो है और मै क्यों
उसके बारे में सोचता हूँ
अब तू ही बता -
कौन समझेगा मुझे
और कौन मुझे प्यार देगा ।

(यह कविता मेरे प्रिय मित्र चंद्र शेखर द्वारा लिखी गई है और मुझे
बहुत पसंद है , मुझे आशा है आप लोगो को भी पसंद आएगी )

Friday, October 3, 2008

तेरे लिए !


रातों को अक्सर
तारों के संग
तेरे लिए गीत
मैंने है गाया ।


तुम मेरी क्या हो !


तुम्हे क्या बताऊँ
की तुम मेरी क्या हो
मेरी हमसफ़र
तुम मेरी जीन्दगी हो ।
दुनिया की चाहत
की तुम वो परी हो
जिसे मैंने पूजा
तुम वो हँसी हो ।
तारों पे चलती तुम
हुस्ने कमल हो
जिसे मैंने गाया
तुम वो गजल हो ।
जिसे मैंने जन्मों से
माँगा था रब से
मेरी जा वो तुम हो
हां , तुम्ही हो ।


पूछो उनसे , जो अनाथ होते है !


खुशकिस्मत होते है वे लोग
जिनके मां-बाप होते है
पूछो उनसे -
जो अनाथ होते है ।
यदि कोई खुदा है
इस धरती पर
तो वो मां -बाप ही है
तुम चाहे जैसे भी हो
वो तुम्हारे साथ होते है ।
कैसे तुम रोओगे ?
किसी और के सामने
आंशूं बहाने और पोछने
वाले भी तो चाहिए जो
जो तुम्हारे साथ होते है ।

तेरा प्यार मेरी पूजा !



तूं जीत , जिन्दगी है
तू आश , रौशनी है
तेरा प्यार मेरी पूजा
तेरी चाह बंदगी है
मेरी शाम तुमसे रौशन
मेरी रात फिर खिली है ।

तुम क्या गयीं , मै खो गया !


तुम क्या गयीं
मै खो गया
जाने मुझे क्या हो गया ।
चलता रहा
राहों पे लेकिन
फिर भी कभी मै चल ना सका ।
जीता रहा
जीवन को हर पल
फिर भी कभी मै जी ना सका ।
सोया हूँ अक्सर
रातों को लेकिन
फिर भी कभी मै सो ना सका ।
तुम क्या गयीं
मै खो गया
जाने मुझे क्या हो गया .

Friday, September 26, 2008

तुम यदी आज कहो तो |



तेरे लबों की लाली को तुम
आज कहो तो जाम बना दूँ
तेरे फलक की बिंदिया को तुम
आज कहो तो चाँद बना दूँ
तेरे पायल की रुनझुन को तुम
आज कहो तो गीत बना दूँ

तेरे मचलते अरमानो को
आज कहो तो दुल्हन बना दूँ
तेरे नयन की गहराई को
आज कहो तो झील बना दूँ
तेरे उदासी के साए को
आज कहो तो उत्सव कर दूँ

तेरे जीवन के अंधियारे को
आज कहो तो उज्वल कर दूँ
तेरे अधूरे सपने को तुम
आज कहो तो पूरा कर दूँ

तुम यदि आज कहो तो मैं
पतझड़ को सावन कर दूँ
अमावास को पूनम कर दूँ
नदियों को सागर कर दूँ
सोला को सबनम कर दूँ
धरती को जन्नत कर दूँ
तुम यदि आज कहो तो
मैं तुम पर जीवन अर्पण कर दूँ

Tuesday, September 23, 2008

पलकें भीग जाती है !


मैंने तुम्हे आत्मा की उन गहराइयों
से प्यार किया है जहाँ मेरा मै खो जाता है
दुनिया का कोई भी ऐश्वर्य उसे छू नही पाता है
अलौकिक आनन्द का झरना मेरे ह्रदय में फूट पड़ता है ।
तुम्हे इतनी गहराइयों से चाहा की
मेरा अहंकार न जाने कहा खो जाता है
सच कहूं मेरी आत्मा मुक्त हो जाती है
जैसे दुनिया कही खो जाती है ।
तुझे प्यार कर के मेरी आंखों से आँशू छलक जाते है
मेरी दुनिया रंगीन हो जाती है
मेरा मन उमंग से नाच उठता है
सैकड़ों जूगनू जैसे मेरे आँगन में नृत्य करने लगते है
ऐसा लगता है जैसे बसंत आ जाए
जैसे अचानक हजारों फूल खिल जाए
मेरा ह्रदय तुम्हारी खुशबू से खिल उठता है
मेरा जीवन आनन्द के फूलों से महक उठता है
मेरा जीवन एक उत्सव बन जाता है , गीत बन जाता है
मेरी आँखें झील बन जाती है और पलकें भीग जाती है ।




तेरे नाम की डोर बंधी है



प्रीति नही है कुछ पल की ये
प्यास नही पलभर की
तेरे नाम की डोर बंधी है
प्राणों से जीवन भर की ।

कोई ना समझे हैं दिल की जुबां


इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना
किसी की कमी से जग सारा सूना
सारा जीवन रह जाता है सूना ।
हँसते हुए ख्वाब रोते है आंशूं
कोई ना समझे है दिल जुंबा
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
सांसे है सूनी , धड़कन है सूनी
जीवन है सूना किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।
राहें है सूनी , मंजिल है सूनी
खवाब अधूरा है किसी के बिना
जब भी है आया सावन का मौसम
नैना है बरसे किसी के बिना
इस जग में साथी किसको ख़बर है
कौन अधूरा है किसके बिना ।

Wednesday, September 17, 2008

दिल ने किया प्यार तुमसे !




मैंने नही प्यार तुमसे किया है
दिल ने किया प्यार तुमसे
मैंने तो दुनिया की बातें थी मानी
किसी की न माना इसी ने ।
मै तो कभी तेरे दर पे झुका ना
सजदा किया है इसी ने ।
मै तो अकड़ता रहा उमर भर
समर्पण किया है इसी ने ।
मै तो कंकड़ था राहों में जैसे
बस हीरा किया है इसी ने
तेरी मुहबत का अमृत पिला कर
मुझको जीवन दिया है इसी ने ।

खाली है दामन , कुछ ना पाया हूँ !


परछाई बनकर लुभाती रही है
खुशियाँ मुझको दौडाती रही है
कितना दौडा हूँ , कितना भागा हूँ
खाली है दामन , कुछ ना पाया हूँ ।

मेरी चाँद कैसी होगी !

कभी कभी मै सोचता हूँ

जब तुम घूंघट में होगी ,

तो कैसी होगी

मेरी चाँद , बिल्कुल मेरी कविता जैसी होगी ।

सिर्फ़ एक प्यास , तेरी आस !



तेरी यादों के सिवाय

कुछ भी नही मेंरे पास

सिर्फ़ एक प्यास

तेरी आस ।

प्यार ही होता है उसका खुदा !



जब कोई किसी को प्यार है करता

हर पल है जीता , हर पल है मरता

प्यार से बढ़कर कोई पूजा नही है

प्यार ही होता है उसका खुदा ।

माँ , मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ !



कई बार मै सोचता हूँ
की मै तुमसे कहूं -
की माँ मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ
पर मै तुमसे कभी तो नही
कह पाता हूँ ।
और शब्दों से शायद
मै कह भी नही पाऊंगा ,
शब्दों में सामर्थ्य ही नही है
भावों को व्यक्त कर पाने की ।
पर मै जब भी अकेला
भावों में डूबा
तेरे आशीष , ममता
और स्नेह की गर्माहट
को महसूस करता हूँ ,
तब न जाने कब
दो बूँद मोटी
पलकों से टपक जाते है
और वो ही कर पाते है
मेरे भावों को व्यक्त ,
और वो कहते है -
की "माँ " , मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।





Tuesday, September 16, 2008

तुमसे बड़ा कोई गम भी न रहा !



तू यदि सबसे बड़ी


खुशी थी मेरी


तो सच ये भी है


की तुमसे बड़ा


कोई गम भी न रहा ।


तेरा आँचल मै छू भी सका !


ऐसी तो कोई मजबूरी न थी

की मै कुछ कह भी न सका

जाने कौन सी हया थी आंखों में मेरी

की तेरा आंचल मै छू भी न सका ।

तुमसे मै बहुत दूर रहा !

मै तो तेरे साथ रहा

पल पल जीवन की तरह

फिर क्यू मुझे ऐसा लगा

की तुमसे मै बहुत दूर रहा ।

मै प्यासा ही रहा !

मै तो जीवन भर यूही

भटकता ही रहा

सागर मेरे पास था

और मै प्यासा ही रहा ।

तेरे पास आके रो लूँगा बहुत !

मै तो सोचा था की
तेरे पास आके रो लूँगा बहुत
तूने समझा क्या मुझे
मै कुछ समझ भी न सका

पहली बार मिला जब तुमसे !


पहली बार मिला जब तुमसे
लगा कोई अपना हो जैसे
लगा कोई सपना हो जैसे
पहली बार लगा था ऐसे
सांसो में खुशबू हो जैसे
पलकों में सपने हो जैसे
सीने में धड़कन हो जैसे
अंतर्मन महका हो जैसे
पहली बार लगा था ऐसे
धरती भी गाती हो जैसे
तारे भी झरते हो जैसे
कण कण में संगीत हो जैसे
पहली बार मिला जब तुमसे
लगा कोई अपना हो जैसे
लगा कोई सपना हो जैसे
पहली बार मिला जब तुमसे ........

Monday, September 1, 2008

तेरे लिए गीत लिखा !


आशूँ है मेरी आँखों में

एक स्याही की तरह

इन्ही आशूओं से मैंने

तेरे लिए गीत लिखा .

मेरा अपना हो न सका !


जीवन के अनजाने पथ पर
चाहा जो वो कर न सका
मेरा जीवन , मेरा सपना
मेरा अपना हो न सका .

साथी मेरे भूल ना जाना !


साथी मेरे भूल ना जाना
कुछ पल तो तेरे साथ रहा था
ऐसा क्यू लगता है मुझको
जन्मों से तेरे साथ रहा था ।
तेरे प्यार और अपने पन में
जीवन ऐसे बीत रहा था
जीवन ही सपना था या फिर
स्वपन सुनहरा देखा रहा था
साथी मेरे भूल ना जाना
कुछ पल तो तेरे साथ रहा था .........

अगर मिल गए हो तो फिर ना बिछड़ना !




कोई शिर्फ़ तेरे लिए गीत गाये
पलकों में तेरे ही स्वपन सजाये
अगर कोई ऐसा तुम्हें मिल जो जाए
तो पलकों से उसको न तुम दूर करना
मिलना न मिलना है किस्मत की बातें
अगर मिल गए हो तो फिर ना बिछड़ना ।

मै तो दर्द पुजारी हूँ !


तुम खुशियों की बात हो करते
मै तो दर्द पुजारी हूँ
तुम सावन की बात हो करते
मै तो पतझड़ का रही हूँ ।
ढूंढ़ रहे हो तुम खुशियाँ
लेकर के तुम शहनाई
तुम्हे मिलेगा कुछ भी नही
मैंने काँटों से है नीड़ बनाई .
अश्रू जहा की सम्पति है
पीडा ही जहा पर वैभव है
ऐसा देश रहा है मेरा
दर्द जहाँ पर गौरव है ।
मरुथल ही जहाँ पवित्र भूमि है
दर्द के ही मन्दिर है जहाँ
पीडा के ही प्रेम गीत है
ऐसा ही अपना है जहाँ ।





कभी भी न भूल पाया !


तेरे चेहरे पर खिली लाली ने क्या गजब ढाया
जब भी जिधर देखा तेरा चेहरा ही नजर आया ।
सुना था लबों से फूल झरते है
तुझे देखा तो आज मै ये जजन पाया ।
तेरी नजरो से जब भी मिली नजरे मेरी
न जाने क्यू मेरे दिल को बहुत करार आया ।
मुझे तो सक था की तुझे प्यार है मुझसे
जब भी तुने मुझे याद किया मुझको तो याकि आया ।
तेरी नजरो में मैंने जो अपना पन पाया
मै जहा भी गया कभी भी न भूल पाया ।

Sunday, August 24, 2008

तुम्हारा मन



मैंने देखा है
तुम्हारा अंतर्मन !
कितनी करुना है
तुम्हारे भावो में,
कितनी पवित्रता है
तुम्हारे विचारो में ,
कितनी कोमलता है
तुम्हारे आचरण में ,
और कितना आत्मीय है
तुम्हारा सानिध्य .

न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै



न जाने क्यू ?
तुम्हारे बारे में सोचना अच्छा लगता है
फिर वही पागलपन , फिर वही दीवानापन
ह्रदय को तरंगित कर गया ।
सोचता हूँ की जब तुमसे मिलूंगा
तब सब कुछ कह दूँगा तुमसे एक ही साँस में
तुम हसोगी मेरी दीवानगी पर, नादांगी पर
मेरा ह्रदय धड़क रहा होगा
तुम्हारी पलके मेरे चेहरे पर झुक रही होंगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
तुम ये करोगी , तुम वो करोगी
तुम सरमाओगी ,शायद मुझसे लिपट जाओगी
मुझे गले से लगाओगी
मेरा चेहरा अपने आँचल में छुपाओगी
तुम मुझे अपने दामन से लगाओगी
कोई मधुर गीत गुनगुनाओगी
मुझे चाँद - सितारों में ले जाओगी
और न जाने क्या -क्या सोचता हूँ मै
आवारा बादलों की तरह , दीवानों की तरह
और न जाने क्या - क्या सोचता हूँ मै ..............

Monday, August 18, 2008

कैसे तुम्हें बुलाऊ


कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ
प्रेम भरे शब्दों में कितनी
कोमलता मै लाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ
डरता हूँ कही प्रेम गीत से
कोमल मन न कुम्हालाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
कोयल की मै कूक ना जानू
पपीहे की मै तेर ना जानू
हर धड़कन में गीत है तेरे
उन गीतों से तुम्हे बुलाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
रूप रंग सुंदर की तुम
अमर कृति तुम अमर निशानी
प्रेम की देबी प्रेम की मूरत
तुम ही हो परियों की रानी
तुम ही ho मेरी प्रेम कहानी
ख्वाबो के स्वप्निल रंगों की
तुम्हे चुनर पहनाऊ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
पलकों में है ख्वाब तुम्हारे
जब भी मिलते नैन हमारे
छुई मुई सा मै शर्माऊ
दिल की बात मै दिल में छिपाऊ
तुमसे मै कुछ कह नहीं पाऊं
कैसे तुम्हे बताऊँ
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ।
नेह का बंधन
स्नेह स्पंदन
जीवन को करता मै अर्पण
प्रेम का पुष्प chadaun
कैसे तुम्हे बुलाऊ प्रियवर
कैसे तुम्हे बुलाऊ...........




मै कैसे भूलूंगा



तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा
तेरी याद का मधुर गीत
अब जीवन भर गाऊंगा .
अब भी याद मुझे है सब कुछ
तेरा वो शरमाना
मुझे बुलाना , मुझे मनाना
मुझको पास बिठाना ।
क्या तू भूल गयी वो सब कुछ
तू कैसे भूलेगी
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा , मै कैसे भूलूंगा ।
जीवन में यदि दर्द नहीं था
दर्द तुम्ही से पाया
जीवन में यदि नृत्य नहीं था
नृत्य तुम्ही से पाया
जीवन में यदि गीत नहीं था
गीत तुम्ही से पाया
जीवन में यदि ख्वाब नहीं था
ख्वाब तुम्ही से पाया
जीवन में यदि प्यार नहीं था
प्यार तुम्ही से पाया
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा , मै कैसे भूलूंगा ।
तेरे प्यार की मधुर स्मृतियाँ
मेरा तो यही है
जीवन भर का गीत यही है
जीवन का संगीत यही है
तू यदि भूल गयी तो भूले
मै कैसे भूलूंगा
मै कैसे भूलूंगा ....


क्यू है


सच कहूं
जो कह नहीं पता हूँ मै तुमसे
तुम हो तो जीवन है
तुम हो तो यौवन है
तुम हो तो सावन है
तुम हो तो गीत है
तुम हो तो संगीत है
तुम हो तो उत्सव है
तुम हो तो नृत्य है
तुम हो तो ख्वाब है
तुम हो तो कुछ अरमान है
तुम हो तो मै हूँ
क्यू है मुझे तुमसे इतना अनुराग
क्यू है मुझे तुमसे इतना प्यार
क्यू है .......